Wednesday, August 22, 2007

६० साल बाद भी ये क्या हो रहा



ओम कबीर


आजादी के ६० साल बाद भी पश्चिम की भारतीयों के प्रति वही मानसिकता है। हमारे साथ अभी भी नस्लभेद हो रह है। हाल ही में जर्मनी में भारतीयों के साथ नस्लभेद का मामला सामने आया। वहाँ पर एक मेले में भारतीयों के साथ वहाँ के लोंगो ने मारपीट की तथा नस्लभेदी नारे लगाए। यह कोई अकेला मामला नहीं है। अभी कुछ दिन पहले ही अफ्रीका में मिस इंडिया अफ्रीका के चुनाव के दौरान नस्लभेद कि बात सामने आयी। ऐसे में सवाल यह खड़ा होता है कि क्या पश्चिम कि मानसिकता में ६० साल के बाद भी कोई परिवर्तन नहीं आया है। यह सवाल ऐसे में कुछ ज्यादा ही महत्वपूर्ण हो जाता है जब भारत अपनी आजादी की ६० सालगिरह मना रहा हो।


अभी हाल ही में एक सर्वेक्षण आया था कि ब्रिटेन में रह रहे ज़्यादातर भारतीय अपने को ब्रितानी नहीं मानते। वे आज भी अपने को भारतीय या एसिआई कहलाना ज्यादा पसंद करते हैं। जाहिर है, ऐसे में इस तरह के माहौल की कल्पना की जा सकती है। यह समझना भी कठिन नहीं है कि क्यों वहाँ के लोग ऐसा सोचते हैं। कारण चाहे जो भी हो पर यह तो तय है कि भारतीयों के साथ अच्छा व्यवहार नहीं होता है। पश्चिम को विकाश के साथ साथ नस्लभेद जैसी ग़ैर मानवीय चीजों के प्रति कड़ा रुख अपनाना चाहिए। दरअसल पश्चिम आज भी हमारी उपलब्धियों को कम कर के आंकता है। उसे शायद हमारे विकाश से जलन हो रही है। हमारी परमाणु शक्ति को वे पचा नहीं पा रहे हैं। हमारी बढ़ती अर्थव्यवस्था से वे चिंतित हो रहे हैं। लेकिन हमें भी यह ध्यान रखना होगा कि हम अपनी राह से भटकें नहीं। वे तो पूरी कोशिश करेंगे।

1 comment:

satyendra said...

गुरू, ये ब्रिटेन ऐसा देश है कि यहाँ के ज्यादा लोग खुद को अंग्रेज कहने मे शर्म महसूस करते हैं। ब्रिटेन के मूल लोग अपने को अंग्रेज कहने मे शर्म महसूस करते हैं। कुछ ही प्रजाति है जिसने पूरी दुनिया मे शोषण किया और england के लोग बदनाम हुए । वो आज भी वहां की सत्ता मे प्रभावशाली हैं। जहाँ तक भारत की बात है , कम से कम ६ साल तक ८-९ % जी डी पी रहने कि संभावना है, यहाँ के बाज़ार पर तो पूरी दुनिया की नज़र है। हम मजबूत होंगे तो सारी समस्या हल हो जायेगी.